दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Bharti Bhawan Vidyut Dhara most Important Question Bihar Board Exam
Bihar Board Class 12 Science all subject Note and PDF
Bharti Bhawan Vidyut Dhara most Important Question Bihar Board Exambharti bhawan class 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न विद्युत धारा
1. ओम का नियम क्या है? इसे कैसे सत्यापित किया जाता है?
उतर – 1826 में जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने किसी चालक के सिरों पर लगाए विभवांतर तथा उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा का संबंध एक नियम के द्वारा व्यक्त किया, जिसे ओम का नियम कहते हैं।
ओम का नियम – यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा ( Electrical Current ) उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है।
I ∝V
I = V/R
ओम के नियम का सत्यापन – एक शुष्क सेल, एक एमीटर A, एक वोल्टमीटर V, एक स्विच S तथा एक नाइक्रॉम के तार के टुकड़े PQ को दिय गए चित्र के अनुसार संयोजित करेंगे।
अब स्विच S को बंद करेंगे उसके बाद परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। अब एक स्थान पर दो शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और अब एक स्थान पर दो शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। अब दो स्थान पर तीन शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। इसी तरह चार, पांच सेल लगाकर नोट कर लेंगे। प्रत्येक बार हम देखेंगे कि अनुपात V/I का मान लगभग समान आता है। इसी प्रकार हम अगर विभवांतर V को x-अक्ष और विधुत-धारा I को y-अक्ष मान कर एक ग्राफ खींचे तो हमें एक सरल रेखा प्राप्त होगी जिससे ये सिद्ध होता है कि विधुत-धारा I विभवांतर V के समानुपाती है। जो कि ओम के नियम की पुष्टि करता है।
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2. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है? व्याख्या करें।
उतर – किसी चालक तार का प्रतिरोध निम्न बातों पर निर्भर करता है-
(i) तार की लंबाई पर – किसी तार का प्रतिरोध उसके लंबाई के समानुपति होता है। यानी तार की लंबाई जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
(ii) तार की मोटाई पर – किसी तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल के व्युतक्रमानुपाती होता है। यानी तार जितना मोटा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा और तार जितना पतला होगा उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
(iii) चालक के पदार्थ पर – अलग अलग पदार्थ के प्रकार के अनुसार उसका प्रतिरोध भी अलग अलग होता है।
(iv) चालक के ताप पर – ताप बढ़ने से चालक का प्रतिरोध भी बढ़ता है।
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3. श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों एवम् समांतरक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोधों के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उतर – श्रेणीक्रम संयोजन – माना की AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े हैं जो क्रमश: R1, R2 और R3 के नाम से एक बैटरी से जुड़े हैं (इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 72 में चित्र 4.15 को देखकर खींच ले)। अब तीनों प्रतिरोध में धारा I प्रवाहित किया जाता है तथा इन प्रतिरोध के बीच विभवांतर क्रमश V1, V2 और V3 है।
अतः ओम के नियम से
V1 = IR1, V2 = IR2 तथा V3 = IR3
यदि एक समतुल्य बैटरी का विभवांतर V जो की V1, V2 और V3 को जोड़कर बनता है
तो V = V1 + V2 + V3 = IR1 + IR2 + IR3
V = I(R1 + R2 + R3 )
अब माना की R1, R2 और R3 को मिलाकर एक समतुल्य प्रतिरोध R
तो ओम के नियम से, V = IR
IR = I(R1 + R2 + R3 )
R = R1 + R2 + R3
समांतरक्रम संयोजन – माना की AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक समांतरक्रम में जुड़े हैं जो क्रमश: R1, R2 और R3 के नाम से एक बैटरी से जुड़े हैं (इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 72 में चित्र 4.16 को देखकर खींच ले)। अब तीनों प्रतिरोध में धारा क्रमश I1 I2 और I3 प्रवाहित किया जाता है तथा इन प्रतिरोध के बीच विभवांतर V है।
तीनों धाराओं को मिलाकर
I = I1 + I2 + I3
अतः ओम के नियम से
I1 = V/R1, I2 = V/R2 तथा I3 = V/R3
तो I =I1 + I2 + I3 = V(1/R1 + 1/R2 + 1/R3)
अब माना की R1, R2 और R3 को मिलाकर एक समतुल्य प्रतिरोध R
तो ओम के नियम से, I = V/R
V/R = V(1/R1 + 1/R2 + 1/R3)
1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3
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